बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से 1815 ई.) बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से 1815 ई.)सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से 1815 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- बौद्धिक आन्दोलन का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
1789 की फ्रांस की क्रान्ति में दार्शनिकों की भूमिका एवं योगदान को बताइए।
अथवा
फ्रांस की क्रांति के प्रमुख दार्शनिकों पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर -
तात्कालिक फ्रांस में अनेक प्रतिभाशाली दार्शनिकों और साहित्यकारों ने फ्रांस की पुरातन व्यवस्था की कटु आलोचना की। उन्होंने अपनी लेखनी द्वारा उस युग के असंतोष, क्रोध, भय व इच्छाओं की व्यापक रूप से अभिव्यक्ति की। माण्टेस्क्यू, वाल्टेयर, रूसो, दिदरो तथा अन्य अनेक दार्शनिक विचारकों के विचारों ने मानसिक जगत को गहराइयों तक आन्दोलित कर दिया। इन दार्शनिकों ने राजनीति, समाज, धर्म व व्यवस्था से सम्बन्धित नये विचार प्रस्तुत किये, जो 'आशावादी', 'समतावादी' एवं 'स्वतंत्रता' की भावना से ओत-प्रोत थे। इस ज्वलनशील साहित्य ने स्वतंत्रता, प्रेम एवं न्याय की भावना को लोगों में प्रसारित किया।
इन दार्शनिक विचारकों ने लोगों को स्वतंत्र चिंतन की प्रेरणा दी। दार्शनिक लेखक फ्रांसीसी समाज के असंतोष को उभार रहे थे। वे जनता को प्रेरणा दे रहे थे तथा असंतोष को व्यक्त कर रहे थे। वे जनता की शिकायतों को सामने रख रहे थे और उसे नेतृत्व व विश्वास दे रहे थे। इन दार्शनिक लेखकों के विचार ही क्रांति की आत्मा थे।
रूसो, माण्टेस्क्यू, वाल्टेयर, दिदरो आदि के विचार ही क्रांति के वाहक एवं प्रचारक बने। इन दार्शनिकों ने फ्रांसीसी जनता का उत्साह एवं जोर बढ़ाते हुए क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन दार्शनिकों ने फ्रांस की साधारण जनता द्वारा की गयी क्रांति को विश्व के लिए प्रेरणा-स्रोत में परिवर्तित कर दिया।
1789 की फ्रांसीसी क्रांति में निम्नलिखित दार्शनिकों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
1. रूसो - रूसो एक प्रकृतिवादी दार्शनिक चिंतक था। उसके चिंतन भावना प्रधान थे और वह एक नवीन समाज का संगठन करना चाहता था। रूसो जेनेवा के एक घड़ीसाज का पुत्र था। रूसो की माँ की
मृत्यु रूसो के बचपन में हो गयी थी। उसका पालन-पोषण सौतेली माँ ने किया था, जिससे उस पर बड़ा बुरा प्रभाव पड़ा। उसे बहुत दुःख उठाने पड़े। वह बाल्यावस्था में स्कूल न जा सका। उसे प्रकृति के सानिध्य में आनन्द आता था और धीरे-धीरे उसका प्रकृति-प्रेम बढ़ता चला गया। रूसो का प्रकृति-प्रेम उसके चिन्तन में स्पष्ट परिलक्षित होता है। रूसो ने विभिन्न विषयों पर विभिन्न पुस्तकें लिखीं परन्तु उसका मुख्य ग्रंथ 'सोशल कॉण्ट्रेक्ट (Social Contract) है। रूसो की मृत्यु 1778 ई. मंए फ्रांस में हुई।
रूसो की मृत्यु फ्रांस की क्रांति से पूर्व हो गयी थी परन्तु उसके सिद्धान्तों एवं विचारों ने क्रांति की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूसो के अनुसार "मनुष्य स्वतन्त्र उत्पन्न हुआ था, परन्तु वह सर्वत्र श्रृंखलाओं में जकड़ा हुआ है।' उसने अपनी पुस्तक 'सोशल कॉण्ट्रेक्ट' में इसका कारण स्पष्ट करने की कोशिश की है। रूसो का सिद्धान्त था कि जनता ही सर्वोपरि है, समस्त सत्ता उसी के हाथ में है, किसी एक वर्ग या व्यक्ति के हाथ में नहीं। उसका मानना था कि सब व्यक्ति स्वतन्त्र और समान हैं। वह आर्थिक असमानता का भी विरोधी था।
रूसो ने दो महान सिद्धान्तों-
(i) जनता की सर्वभौम सत्ता तथा
(ii) समस्त नागरिकों की राजनीतिक समानता का प्रतिपादन
रूसो के इन सिद्धान्तों एवं विचारों ने फ्रांस की क्रांति के लिए बौद्धिक आधार प्रदान किया। रूसो के अनुयायी उग्र क्रांतिकारी बन गये। रूसो के बारे में स्वयं नेपोलियन ने कहा था कि "यदि रूसो न हुआ होता तो फ्रांसीसी क्रांति सम्भव न हुई होती।
2. मिराबो - गेब्रील रिक्यूती मिराबो (1749-1791 ई.) देखने में अत्यंत भद्दा, कुरूप तथा अत्यंत कुशाग्र बुद्धि का धनी था। वह फ्रांसीसी क्रांति का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति था। उसे खण्डित होते हुए समाज में दुस्साहसिक कार्य करने वाला बुद्धिमान कहा जाता था। यद्यपि मिराबो सामन्त वर्ग का था, किन्तु 1789 ई. में जब संसद में चुनाव हुए तो वहां वह तीसरी एस्टेट्स जनरल के तीसरे सदन का सदस्य चुना गया। मिराबो ने ही तीसरे सदन का नेतृत्व करते हुए तीनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन की मांग की। टेनिस कोर्ट की शपथ (20 जून, 1789 ई.) की घटना में मिराबो का प्रमुख हाथ था। मिराबो के प्रयासों से पेरिस से सेना हटाने के लिए लुई सोलहवें को विवश होना पड़ा। उसके प्रयत्नों से ही जनता से वसूल किये जाने वाले "टाइथ" कर को समाप्त कर दिया गया। केटलबी ने व्यवस्थापिका सभा व राजा के बीच सम्बन्ध बनाये रखने के लिए मिराबो की सराहना की है।
मिराबो की मृत्यु 1791 ई. में हुई। मिराबो की मृत्यु के समय कहा गया कि उसकी मृत्यु से फ्रांस ने एक कर्णधार खो दिया। उसकी अर्थी के पीछे सम्राट के प्रतिनिधियों और जैकोबिन क्लब के सदस्यों का 9 मीटर लम्बा जुलूस था। पेरिस में तीन दिन तक शोक मनाया गया। क्रांति के समय फ्रांस की विषम स्थिति को यदि कोई सम्भाल सकता था तो वो मिराबो ही था। वह संवैधानिक एकतन्त्र का समर्थक था। उसकी मृत्यु से क्रांति के बाद होने वाले सुधारों को गहरा धक्का पहुंचा। फ्रांस की विभिन्न संस्थाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करना उसे बखूबी पता था परन्तु जब फ्रांस को उसकी सर्वाधिक आवश्यकता थी तब उसकी मृत्यु हो गयी। फ्रांस की जनता ने मिराबो से बहुत आशा लगा रखी थी। उस समय मिराबो फ्रांस का कर्णधार बन सकता था परन्तु काल ने उससे यह अवसर छीन लिया। फ्रांस की क्रांति ने जितने आदमी उत्पन्न किये थे, वह उनमें सर्वश्रेष्ठ था। यदि वह जीवित रहता तो फ्रांस का भाग्य बदल सकता था। इन सबके बावजूद मिराबो क्रांति का अलार्म था, वह राष्ट्रीय सभा का प्रवक्ता तथा फ्रांसीसी व्याख्याता का आदर्श था।
3. दिदरो - फ्रांस का क्रान्ति पूर्व समाज तीन भागों में बांटा था जो दिदरो का जन्म 1735 ई. में फ्रांस में हुआ था। वह एक पढ़ा-लिखा, सुसभ्य व्यक्ति था। उसमें अभूतपूर्व लेखन शक्ति थी। उसने अपनी लेखन शक्ति को ही क्रांति का आधार बनाया। दिदरो ने अपने विचारों से फ्रांस की जनता का झकझोर कर रख दिया। उसका विश्वास था कि सत्य ज्ञान से सभी दोषों का निराकरण और सुख की वृद्धि हो सकती है, अतः उसने विश्वकोश का सम्पादन प्रारम्भ किया। उसने विश्वकोश में विभिन्न विषयों की सरल एवं सुगम व्याख्या की। यह विश्वकोश 1751 से 1722 ई. तक 17 खण्डों में प्रकाशित हुआ।
यह विश्वकोश केवल तथ्यों का संकलनमात्र नहीं था। अपने समय के प्रख्यात विद्वानों द्वारा इसमें महत्वपूर्ण विषयों पर लेख शामिल किए गये हैं। कुछ विषयों पर तो उसने स्वयं लेख लिखे थे। विश्वकोश मे वाल्टेयर ने इतिहास पर, द आलम्बर्ट ने गणित पर तथा क्वेशने ने अर्थशास्त्र पर लेख लिखे थे। विश्वकोश में मजदूरों तथा व्यापारियों की उपलब्धियों की प्रशंसा की गई थी। इसमे गुलामों के व्यापार, धार्मिक असहिष्णुता, धार्मिक अंधविश्वास, पादरियों के भ्रष्ट जीवन, अनुचित करों, चर्च के अधिकारों एवं अभिजात वर्ग के विशेषाधिकारों की निन्दा की गयी है। दिदरो के निर्भीक विचारों से सरकार डर गयी, परिणामस्वरूप 1752 ई. में इसके दो खण्डों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया और दिदरो को जेल जाना पड़ा। बाद में दिदरो ने फ्रांस से भागकर बाहर इसका प्रकाशन करवाया। इस विश्वकोश ने जनता में तर्कवाद का खूब प्रसार किया। इस विश्वकोश के द्वारा फ्रांस की क्रांति में बड़ी सहायता मिली।
4. माण्टेस्क्यू - क्रांति के पूर्व के विचारकों में सर्वप्रथम माण्टेस्क्यू का नाम उल्लेखनीय है। माण्टेस्क्यू (1689-1755) स्वयं कुलीन था एवं बोर्दों की पार्लमाँ का न्यायाधीश था। उसने विदेशों में खूब भ्रमण किया तथा कुछ दिन इंग्लैण्ड में रहा। इंग्लैण्ड प्रवास के दौरान उसने इंग्लैण्ड एवं अन्य देशों के संविधान का अध्ययन बारीकी से किया। उसने एक पुस्तक 'स्प्रिट ऑफ ला' (Sprit of Law) लिखी, जिसमें उस समय के प्रमुख संविधानों का निचोड़ था।
माण्टेस्क्यू ने फ्रांस की संस्थाओं की कटु आलोचना करते हुए उनके अस्तित्व पर सवाल उठाये। उसने फ्रांस की संस्थाओं की तुलना इंग्लैण्ड से की। उसने राजा के दैवी अधिकारों के सिद्धान्त का और इस मान्यता का कि पुरातन संस्थाएँ केवल इसलिए पवित्र हैं कि वे प्राचीन एवं प्रतिष्ठित हैं, तिरस्कारपूर्वक खण्डन किया। उसने बताया कि जनता की स्वतंत्रता एवं सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि शासन की विभिन्न शक्तियाँ कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका पृथक्-पृथक् व्यक्तियों के हाथों में हों। उसने इंग्लैण्ड के शासन को संसार में सर्वोत्तम माना, क्योंकि वहाँ का शासन राजा का निरंकुश एकतन्त्र नहीं, वरन् जनता के प्रतिनिधियों की सभा द्वारा मर्यादित एकतन्त्र था। इंग्लैण्ड से तुलना करते हुए उसने फ्रांस के शासन को हेय बताया। रॉबर्टसन ने उसके बारे में लिखा है कि "वह व्यंग्यात्मक रूप से फ्रांसीसी विधान की आलोचना करता था तथा फ्रांसीसी वैधानिक परम्पराओं के इंग्लैण्ड की वैधानिक परम्पराओं के तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित सुधार का समर्थक था। उसकी मान्यता थी कि शक्ति के विभाजन से कई बुराइयाँ समाप्त हो जायेंगी क्योंकि शक्ति या अधिकार के केन्द्रीयकरण से कई विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। उसकी पुस्तक 'स्प्रिट ऑफ लॉ' फ्रांस में बहुत लोकप्रिय हुई।
यहाँ यह स्मरण रखना चाहिए कि मॉण्टेस्क्यू द्वारा प्रतिपादित स्वतंत्रता कुलीन वर्ग की स्वतंत्रता थी और उसका ग्रन्थ कुलीन वर्ग के विश्वासों की पुस्तिका थी। उसने जिस 'शक्ति पार्थक्य' के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया उसके समय में उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ, परन्तु बाद में फ्रांस के संविधानों के निर्माण में इस सिद्धान्त की भूमिका प्रभावशाली रही।
5. लाफ़ायत - फ्रांस का क्रान्ति पूर्व समाज तीन भागों में बांटा था जो गिलर्बट डी. लाफायत स्वतन्त्रता, समानता और भ्रातृत्व का प्रबल समर्थक था। वह रूसो की विचारधारा से प्रभावित था। उसने अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। लाफायत ने असाधारण वीरता का परिचय देते हुए 1781 ई. में अंग्रेज सेनापति कार्नवालिस की सेना को परास्त किया। अमेरिका के इतिहास में आज भी लाफायत का सम्मानजनक स्थान है।
1789 ई. में लाफायत कुलीन वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में एस्टेट्स जनरल का सदस्य निर्वाचित किया गया। लाफायत का एक मुख्य कार्य मानव अधिकारों की घोषणा के मसविदे को तैयार करना था। लाफायत का यह कार्य अत्यंत उल्लेखनीय रहा। लाफायत ने क्रांति के प्रारम्भिक दौर में फैली अराजकता को दूर करने का प्रयत्न किया। दुर्व्यवस्था को उसने सुधारने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा दल की स्थापना की और वह इसका अध्यक्ष बना। लाफायत पेरिस की भीड़ पर गोली चलाने के लिए अत्यधिक बदनाम हो गया। फ्रांस में अन्य राजनीतिज्ञों के कारण उसे कम महत्व प्राप्त हो सका।
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- प्रश्न- यूरोप में राष्ट्रीय राज्यों के उदय का वर्णन कीजिए और उनके पतन की समीक्षा कीजिए
- प्रश्न- फिलिप-II की विदेश नीति एवं धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- फिलिप-II की धार्मिक नीति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- एक वंशानुगत शासक के रूप में चार्ल्स पंचम की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूस के आधुनिकीकरण हेतु पीटर महान ने क्या उपाय किये
- प्रश्न- "एलिजाबेथ का शासनकाल इंग्लैंड के इतिहास का स्वर्ण युग था।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामन्तवाद के पतन के लिए उत्तरदायी कारणों का उल्लेख कीजिए। (कानपुर 2012)
- प्रश्न- यूरोपीय सामन्तवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- स्पेन के सम्राट चार्ल्स पंचम पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय राज्यों के उदय के कारण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निरंकुशवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय राज्यों के उदय के परिणामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्पेन के उत्कर्ष के क्या कारण थे?
- प्रश्न- रूस के पीटर महान का प्रबुद्ध निरंकुश शासक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- चार्ल्स पंचम के शासनकाल की प्रमुख गतिविधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चार्ल्स पंचम की गृह नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सोलहवीं सदी में यूरोप में राष्ट्रीयता का उदय किन तत्वों के अन्तर्सयोजन का परिणाम था?
- प्रश्न- स्पेन के पंतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- नीदरलैण्ड के विद्रोह के क्या कारण थे?
- प्रश्न- हेनरी चतुर्थ ने फ्रांस को किस प्रकार सुदृढ़ किया था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रबुद्ध निरंकुशवाद से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कैथेरिन द्वितीय के जीवन चरित्र एवं कार्यों का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- पीटर महान की 'खुली खिड़की' की नीति के विषय में आप क्या जानते थे? इस नीति के क्रियान्वयन में वह कहाँ तक सफल रहा?
- प्रश्न- प्रबुद्ध निरंकुशवाद के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- फर्डीनेण्ड और ईसाबेला की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फिलिप द्वितीय की गृहनीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तानाशाही के गुण एवं दुर्गुण क्या हैं?
- प्रश्न- हेनरी चतुर्थ की विदेश नीति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हेनरी सप्तम की गृहनीति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कैथरीन द्वितीय की धार्मिक नीति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी अष्टम् की धार्मिक नीति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मेरी ट्यूडर का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- चार्ल्स द्वितीय की विदेश नीति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हेनरी अष्टम् व पोप के मध्य संघर्ष का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चार्ल्स पंचम की धार्मिक नीति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- क्या फ्रेडरिक महान को सही अर्थों में एक प्रबुद्ध निरंकुश शासक कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लुई ग्यारहवाँ क्या वास्तव में 'फ्रांसीसी राष्ट्र निर्माता' था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रोटेस्टेण्ट धर्म की विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- 16वीं सदी की धार्मिक उथल-पुथल का क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- काल्विनवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ऐंग्लिकन चर्च का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- काल्विनवाद के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्जागरण से क्या तात्पर्य है? पुनर्जागरण के विभिन्न कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्जागरण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- यूरोपीय देशों के जनजीवन पर पुनर्जागरण के प्रभावों की विस्तार सहित व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- यूरोप में पुनर्जागरण के फलस्वरूप मानव के सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक क्षेत्र में क्या परिवर्तन हुए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्जागरण की शुरूआत इटली से ही क्यों हुई?
- प्रश्न- पुनर्जागरण की प्रमुख विशेषताएँ या लक्षण क्या थे?
- प्रश्न- पुनर्जागरण का राजनीतिक क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा था?
- प्रश्न- पुनर्जागरण का स्थापत्य कला के क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- पुनर्जागरण का मूर्तिकला के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- पुनर्जागरण का संगीत कला पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- पुनर्जागरण का विज्ञान के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- पुनर्जागरणकाल के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जर्मनी में पुनर्जागरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रोम में पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पुनर्जागरण काल में इटली में साहित्य एवं कला के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्जागरण का साहित्य के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- यूरोप में धर्म सुधार आन्दोलन का वर्णन कीजिए। काल्विनवाद तथा लूथरवाद की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- काल्विनवाद से आप क्या समझते हैं? काल्विन का लूथर से तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के महत्व एवं परिणामों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- धार्मिक सुधार प्रतिक्रिया आन्दोलन में कौन-कौन से सहायक तत्त्व थे?
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इस आन्दोलन की पृष्ठभूमि तथा कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के तात्कालिक कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के बौद्धिक जागरण सम्बन्धी कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्म सुधार के आर्थिक एवं धार्मिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार के राजनीतिक कारणों को समझाइये।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन में मार्टिन लूथर के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिधर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझतें हैं?
- प्रश्न- "धर्म सुधार आन्दोलन पोप-पद की सांसारिकता का भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक नैतिक विद्रोह था।' वाइनर एवं मार्टिन के इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रति धर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व और परिणामों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिवादी धर्म सुधार आन्दोलन को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- धर्म सुधार आंदोलन के परिणामों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्टिन लूथर के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- मार्टिन लूथर के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के आर्थिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के क्या राजनीतिक कारण थे?
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन का तात्कालिक कारण क्या था?
- प्रश्न- आग्सबर्ग संधि की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन का यूरोप के राजनैतिक और आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- ऐंग्लिकन विचारधारा का धर्म सुधार आन्दोलन में क्या योगदान रहा?
- प्रश्न- इंग्लैंड में धर्म सुधार के क्या कारण थे?
- प्रश्न- जैसुइट संघ का महत्व बताइए।
- प्रश्न- फ्रांस में धर्म सुधार आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के स्वरूप को बताइये।
- प्रश्न- जर्मनी के धर्म सुधार आन्दोलन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- यूरोप में कैथोलिक चर्च ने धार्मिक आन्दोलनों को रोकने के लिए क्या प्रयास किए? इन प्रयासों में उसे कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई?
- प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के विकास की प्रमुख घटनाओं का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के क्या परिणाम हुए व इसका यूरोपीय इतिहास में क्या महत्व है?
- प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के परिणामों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- वेस्टफालिया की सन्धि पर संक्षित टिपणी लिखिए।
- प्रश्न- वेस्टफेलिया की सन्धि के क्या प्रावधान थे?
- प्रश्न- वेस्टफेलिया की सन्धि के क्या परिणाम हुए?
- प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध में स्पेन की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- इंग्लैण्ड ने सन् 1688 ई. की क्रान्ति के कारणों तथा परिणामों की व्याख्या कीजिए। इस क्रान्ति को 'गौरवपूर्ण (वैभवशाली) क्रान्ति तथा रक्तहीन क्रान्ति क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- 1688 ई. क्रान्ति के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्रान्ति के प्रभाव अथवा परिणामों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी सप्तम ने इंग्लैण्ड में किस प्रकार एक सुदृढ़ राज्य की स्थापना की थी? समझाइये।
- प्रश्न- हेनरी सप्तम की गृह नीति अथवा आन्तरिक उपलब्धियों के बारे में ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी सप्तम की सफलता के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हेनरी सप्तम की विदेश नीति के बारे में बताइए।
- प्रश्न- एलिजाबेथ का शासनकाल इंग्लैण्ड के इतिहास में स्वर्ण युग था। इस कथन के औचित्य को सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में संसदीय सुधारों का क्रमागत अध्ययन प्रस्तुत कीजिए। (कानपुर 2018)
- प्रश्न- एलिजाबेथ के शासनकाल में इंग्लैण्ड की नीति के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
- प्रश्न- एलिजाबेथ की वैदेशिक उपलब्धियों को समझाइये।
- प्रश्न- गौरवपूर्ण क्रान्ति के धार्मिक परिणाम क्या निकले?
- प्रश्न- गुलाबों के युद्ध के महत्त्व को समझाइए।
- प्रश्न- इंग्लैण्ड की क्रान्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- इंग्लैण्ड की वैभवपूर्ण क्रान्ति का महत्व बताइये।
- प्रश्न- एलिजाबेथ के समझौते पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- चार्ल्स द्वितीय कौन था?
- प्रश्न- इंग्लैंड के द्वितीय गृहयुद्ध (1646-1649 ई.) के संक्षिप्त परिणाम लिखिए।
- प्रश्न- एलिजाबेथ के चरित्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1688 की गौरवपूर्ण क्रान्ति के राजनीतिक, धार्मिक तथा तात्कालिक कारणों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- इंग्लैण्ड की क्रान्ति को रक्तहीन क्रान्ति क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- इंग्लैण्ड के भारतीय उपनिवेश की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- इंग्लैण्ड की एलिजाबेथ प्रथम की विदेश नीति का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- 'इंग्लैण्ड' में संसदीय व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- गौरवपूर्ण क्रांति के परिणाम स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इंग्लैंड द्वारा उत्तरी अमेरिका में उपनिवेश की स्थापना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? अमेरिकी क्रान्ति के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका की क्रांति के घटना चक्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्रान्ति पूर्ण अमेरिका की स्थिति पर प्रकाश डालिए तथा अंग्रेजों की असफलता के कारण बताइए।
- प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति का स्वरूप क्या था? क्रान्ति के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के महत्व का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति प्रभावों को विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति का स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- अमेरिका में उपनिवेशवाद के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- अमेरिका के स्वतन्त्रता संग्राम के दो कारण बताइये।
- प्रश्न- 'बोस्टन टी पार्टी' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के प्रमुख कारणों में उस पर इंग्लैण्ड द्वारा लगाये जाने वाले नवीन कर व एक्ट भी थे। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिकी क्रांति के महत्व का परीक्षण कीजिए
- प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के परिणामों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- "फ्रांस की क्रांति जितनी शस्त्रों का संघर्ष थी उतनी ही विचारों की " कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1789 की क्रांति से पूर्व फ्रांस की राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के तात्कालिक, सामाजिक तथा राजनीतिक कारणों को बताइए।
- प्रश्न- बौद्धिक आन्दोलन का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- फ्राँस में ही क्रान्ति क्यों हुई? स्पष्ट करें।
- प्रश्न- फ्रांस की राज्य क्रान्ति के क्या परिणाम थे?
- प्रश्न- सन् 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के महत्त्व पर प्रकाश डालिए। फ्रांस में ही क्रान्ति पहले क्यों हुई?
- प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता, समानता तथा बन्धुत्व की भावनाएँ 1789 की फ्रांसीसी क्रान्ति का परिणाम थी। परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति (सन् 1789 ई.) के राजनैतिक कारण बताइए।
- प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- रूसो कौन था उसके विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के आर्थिक कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दांते कौन था? फ्रांसीसी क्रान्ति में उसका क्या योगदान रहा?
- प्रश्न- वाल्टेयर तथा दिदरों के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्वेस्ने तथा मान्टेस्क्यू के विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसी क्रांति का प्रारम्भ किस प्रकार हुआ?
- प्रश्न- 1789 की फ्रांस की क्रांति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बास्तील के पतन पर संक्षित टिपणी लिखिये।
- प्रश्न- फ्रांस की पुरातन व्यवस्था की मुख्य कमियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "जैकोबिन क्लब" की फ्रांस की क्रांति में क्या भूमिका थी?
- प्रश्न- जिरोंदिस्तों की फ्रांस की क्रांति में क्या भूमिका थी?
- प्रश्न- 1789 ई. में फ्रांस की क्रांति के समय तत्कालीन राजा और रानी की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांस में 14 जुलाई का महत्व क्यों है?
- प्रश्न- "नेपोलियन क्रांति का मित्र एवं शत्रु दोनों था।" चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- 1799 के संविधान पर प्रकाश डालिए। प्रथम सलाहकार के रूप में नेपोलियन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन की महाद्वीपीय व्यवस्था क्या थी? इसकी असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- महाद्वीपीय व्यवस्था की असफलता को समझाइए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- "मैं क्रान्ति का पुत्र हूँ।"मैंने क्रान्ति को नष्ट किया।" नेपोलियन के इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'यदि नेपोलियन बोनापार्ट का अन्त वर्ष 1807 में हो जाता, तो वैश्विक सैन्य इतिहास में वह सर्वश्रेष्ठ माना जाता।" कथन का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस के पुनर्निर्माण के लिए क्या प्रयत्न किये?
- प्रश्न- नेपोलियन की महाद्वीपीय व्यवस्था संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- टिलसिट की सन्धि पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट के प्रारम्भिक जीवन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट वाटरलू के युद्ध में क्यों असफल रहा?
- प्रश्न- 1804 1807 के मध्य नेपोलियन के उत्कर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नेपोलियन के सौ दिनों के शासन पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- सम्राट के रूप में नेपोलियन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन युग का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन द्वारा राजतन्त्रवादियों के विद्रोहों के दमन पर लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- नेपोलियन पर रोमन कानून का क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- नेपोलियन की सफलता के प्रमुख कारण कौन-कौन से थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस के सम्राट का पद कैसे ग्रहण किया? अतः जनता ने उसे क्यों मान्यता दी?
- प्रश्न- नेपोलियन के प्रशासन सम्बन्धी सुधारों का वर्णन करो?
- प्रश्न- नेपोलियन प्रथम के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रथम कॉन्सल के रूप में नेपालियन द्वारा किए गए सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन के सार्वजनिक और शिक्षा सम्बन्धी सुधारों का वर्णन कीजिए?